Thursday, March 11, 2021

मुझे शायर न समझो...

 मुझे शायर  न समझो मेरे यारों ,

हम तो यूँ ही कलम चला लेते हैं ,


हर ख़्याल को रखते हैं ज़हन में रवाँ ,

और कभी लफ़्ज़ों के कालीन बिछा लेते हैं !


खुली आँखों से देख लेते हैं बहुत सारे ख़्वाब ,

और कभी किसी ख़्वाब को आईने में सजा लेते हैं !!


मुझे शायर  न समझो मेरे यारों ,

हम तो यूँ ही कागज़ पर जश्न -ऐ -ज़िन्दगी  मना लेते हैं !!

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