रात के सवाल....
एक और रतजगे की रात,कुछ एहसासों,कुछ जज्बातों की रात !एक दास्ताँ सुनाती रात,दिल के किसी कोने में बसी है वो रात,जो आज फिर मचल उठी है कुछ कहने को ...... कल रात ने आख़िर पूछ ही लिया, इन नींद से अन्जान आंखों राज़ क्या है ? इस बेचैनी,बेख्याली का सबब क्या है? क्यों तू सहर तक तारों को ताकता रहता है ? क्यों तू रोज़ मेरे भेजे ख्वाब लौटा देता है ? वो तेरी कौन सी ऐसी मन्नत है,जिसके लिए मेरा हर तारा टूटने को तैयार है ? मैं बोला, सुन रात तेरे हर सवाल का जवाब इश्क है! आंखों में बस कर जो नींद चुरा ले जाए वो इश्क है! जो यार को ही रब बना दे वो इश्क है ! जिसके लिए हर ख्वाब को ठुकराया जा सके वो इश्क है ! तारे भी जिस मन्नत के लिए खुशी से टूट जाए वो इश्क है !!