नज़्म मिलती नहीं !!!!!!

कागज़ और कलम के दर्मियाँ एक नज़्म कहीं खो सी गई है ,ढूँढने कि लाख कोशिश कि पर वो मिलती ही नहीं !!आज ज़िन्दगी के इस सफ्हे पर अपना पता लिखे देता हूँ ..शायद वो ही मुझे ढूंढ ले ........

एक कैनवस पर बिखरे रंगों की तरह ,
लव्ज़ तो मिल जाते हैं ...
पर वो नज़्म नहीं मिलती !!!!!!

मेरी डायरी के कोरे सफहों में,
सोये ख़याल तो मिल जाते हैं ...
पर वो नज़्म नहीं मिलती !!!!!!

मेरी कलम को ख्वाबों में ,
कुछ अधूरे मिसरे तो मिल जाते हैं ....
पर वो नज़्म नहीं मिलती !!!!!!!

काश नज्मों का भी कोई पता होता ,
की जब चाहे उनसे मिल पाते हम !!

अब शायद वो नज़्म ही मुझे ढूंढ लेगी कहीं ...
लापता हूँ आजकल अपने ही शहर में...
अपना पता जेब में लिए फिरता हूँ !!!!!

Comments

Smart Indian said…
इतने दिन बाद जब हमारे विक्रांत जी मिल गये तो नज़्म भी मिलनी ही है। शुभकामनायें!
बहुत शुक्रिया अनुराग भाई!!
SAJAN.AAWARA said…
Bahut khub sriman ji....
Jai hind jai bharat

Popular posts from this blog

रात के सवाल....

इक रोज़ जब.....

मैं तो न सोया ....