Thursday, October 10, 2019

मैं अकेला ही चलूँगा ......

अब मैं अकेला ही चलूँगा जानिबे अमन!

कितनी भी कठिन डगर हो,
हर कदम गुमराह होने का डर हो,
जीत बसी है मेरे हर तस्सवुर में,
इक रोज़ हासिल करूँगा मैं मंजिल को!!!

बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उन तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!

सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!!!!!

मैं अकेला ही चला था जानिबे अमन ,आज देखो मेरे सैंकडों हांथ हैं !!!!!!!!!!!!!!

13 comments:

नीरज गोस्वामी said...

सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!!!!!
बहुत सकारात्मक सोच...काश ऐसा ही हो....
नीरज

राज भाटिय़ा said...

सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,....
बहुत ही भावुक कविता...
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उनक तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!

बहुत अनुकरणिय विचार ! आपको बहुत शुभकामनाए !

राम राम !

Poonam Agrawal said...

Bahut sunder bhav......badhai

Smart Indian said...

सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!

मैं अकेला ही चला था जानिबे अमन ,
आज देखो मेरे सैंकडों हांथ हैं!

बहुत सुंदर! अमन की यह शमा इसी तरह रौशन रहे, आमीन!

Dr.Bhawna Kunwar said...

बहुत सुन्दर रचना है ...बहुत-बहुत बधाई ...

Renu Sharma said...

vikrant ji , aapke blog par aakar achchha laga .
achchha likha hai , is mishan main , main bhi aapake sath hoon ,
mere blog par aane ke liye shukriya ,
madgushala ka madhur sangeet bha gaya .

दीपक "तिवारी साहब" said...

बहुत सुन्दर लिखा आपने !

रंजना said...

Waah ! sundar shabd aur bhavabhivyakti

हरकीरत ' हीर' said...

विक्रं।त जी, आपकी 'इक रोज जब' और 'कल सारी रात' कवितायें अच्‍छी लगीं ...

अनुपम अग्रवाल said...

sankalp ko naman.

aapkee profile ka andaaze-bayaan bhee aur hai .

श्रद्धा जैन said...

bahut achhi soch hai

बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उनक तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!


ek shama ek mashaal bhi andhere ko door kar degi bus koi to uthe aur jalaye

Dr. Nazar Mahmood said...

नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना