Sunday, August 24, 2008

याद तुम आती रहीं.....


आज सावन की बूंदों ने बरस कर फिर तेरी यादें ताज़ा कर दी ..........................




जब सावन की बूँदें ,मेरी आखों से नमी चुराती रहीं ,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !

जब काली रातें ,तेरी यादों की रौशनी से सितारों की चमक चुराती रहीं ,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !


जब वक्त के दिए ज़ख्मो की टीस,मेरी आंखों को रुलाती रहीं,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !


जब बनकर हकीकत की परछाइयां,तुम मेरे ख्वाबों में आती रहीं,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !


तुम दूर हो इसलिए कुछ कह नहीं सकता,
जब आओगी पास ,तो ये तारे भी देंगे गवाही,
कि कैसे तुम्हारी यादें पल पल मुझे तडपती रहीं
कैसे तुम हर पल मुझे सताती रहीं
जब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !

8 comments:

रश्मि प्रभा... said...

ye yaaden har pal saath hoti hain aur kuch likhne par vivash kar jati hain........
yaadon ko sundar bana diya aapne

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुन्दर कविता,
जन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई.
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

बस याद तुम आती रहीं !
बहुत सुंदर कविता ! शुभकामनाए!

दीपक "तिवारी साहब" said...

"तुम दूर हो इसलिए कुछ कह नहीं सकता,
जब आओगी पास ,तो ये तारे भी देंगे गवाही,"

बहुत दर्द दिखाई दे रहा है तिवारी साहब को तो !
सब खैरियत तो है ना ! हमसे कुछ मत छुपाना !
बहुत सुंदर लगी ! जन्माष्टमी की बधाई !

विक्रांत बेशर्मा said...

तिवारी जी आपके कम्मेंट के लिए धन्यवाद ...सब खैरियत से है :)...कहते है न
दर्द जब हद से गुज़र जाए तो दवा बन जाता है!!!!!

* મારી રચના * said...

bahut hi badhiya karuti hai apaki...

डॉ .अनुराग said...

जब काली रातें ,तेरी यादों की रौशनी से सितारों की चमक चुराती रहीं ,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !

जब वक्त के दिए ज़ख्मो की टीस,मेरी आंखों को रुलाती रहीं,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !


bahut khoobsurat ......

.lamba gap le liya bhai ?kahan masroof the?

Anonymous said...

Really , this is very touching poem..
Bahut kub likhte hai aap...bebak
Apne blog ka nna bhi khub rakha hai aap ne...

http://dev-poetry.blogspot.com/