Thursday, October 10, 2019

मैं अकेला ही चलूँगा ......

अब मैं अकेला ही चलूँगा जानिबे अमन!

कितनी भी कठिन डगर हो,
हर कदम गुमराह होने का डर हो,
जीत बसी है मेरे हर तस्सवुर में,
इक रोज़ हासिल करूँगा मैं मंजिल को!!!

बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उन तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!

सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!!!!!

मैं अकेला ही चला था जानिबे अमन ,आज देखो मेरे सैंकडों हांथ हैं !!!!!!!!!!!!!!

Tuesday, October 8, 2019

बारिश !!

आज जी करता है यूँ ,
कि सौंप दूँ खुद को ,
रिमझिम बरसती बारिश के आगोश में ,
और ओढ़ लूँ बूँदों की चादर !

आखों में भर लूँ बूंदों का सुरमा !
और फिर से रवाँ कर लूँ,
अपने बचपन  को पल भर !

फिर से,
मासूमियत भरी आखों  से देख सकूँ,
इस दुनिया को!
और फिर से शुरू हो जाये ,
कागज़ की कश्तियों का  सफ़र !

कायम हो जाए फिर से,
बेफिक्रियों का आलम,
भीग जाने की फ़िक्र भी,
हो जाये बे-असर !!