एक और रतजगे की रात,कुछ एहसासों,कुछ जज्बातों की रात !एक दास्ताँ सुनाती रात,दिल के किसी कोने में बसी है वो रात,जो आज फिर मचल उठी है कुछ कहने को ......
कल रात ने आख़िर पूछ ही लिया,
इन नींद से अन्जान आंखों राज़ क्या है ?
इस बेचैनी,बेख्याली का सबब क्या है?
क्यों तू सहर तक तारों को ताकता रहता है ?
क्यों तू रोज़ मेरे भेजे ख्वाब लौटा देता है ?
वो तेरी कौन सी ऐसी मन्नत है,जिसके लिए मेरा हर तारा टूटने को तैयार है ?
मैं बोला,
सुन रात तेरे हर सवाल का जवाब इश्क है!
आंखों में बस कर जो नींद चुरा ले जाए वो इश्क है!
जो यार को ही रब बना दे वो इश्क है !
जिसके लिए हर ख्वाब को ठुकराया जा सके वो इश्क है !
तारे भी जिस मन्नत के लिए खुशी से टूट जाए वो इश्क है !!
Thursday, April 30, 2009
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19 comments:
बहुत खूबसूरत रचना. आजकल दिखाई नही दे रहे हैं? क्या बात है?
रामराम.
ताऊ जी राम राम,
बीते दिनों घर गया था और आने के बाद काम की वजह से काफी व्यस्त रहा ...अब नियमित रूप से पोस्ट लिखा करूँगा !!!!
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की आपको मेरी शायरी पसंद आई!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! आप बहुत सुंदर लिखते हैं!
बहुत दिनों बाद ब्लॉगजगत पर आपकी वापसी हुई.
शानदार भावपूर्ण रचना पढ़ कर आनंद आया.
उम्मीद है आगे से नियमित रूप से ब्लॉग जगत में छाये रहेंगे.
चन्द्र मोहन गुप्त
तारे भी जिस मन्नत के लिए ख़ुशी से टूट जाएँ वो इश्क है......!!
वाह जी वाह......!! इश्क मुबारक आपको ......!!!!!!
पर जनाब ....ये इश्क नहीं आसां इतना समझ लीजै .....!!!!
शुक्रिया हरकीरत जी !!!
खूब कहा आपने ...के ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजै...इसी बात पर अर्ज़ है
इश्क है दरिया प्यार का ,वा की उलटी धार..
जो उबरा सो डूब गया ,और जो डूबा सो पार !!!!!!!!
बहुत खूबसूरत रचना.....aap mere blog par aaye koti koti pranaam...saral w sahaj shabdon me bahut kuchh kah diya.....
सरल व संछेप ही सफलता का राज है । इसी में पुरी दुनिया सिमटी हुई है । पुरा पन्ना जिसे नही समझा सकता उसे एक शब्द ही समझा देता है ।
बहुत खूबसूरत रचना...रचना बहुत अच्छी लगी।आप मेरे ब्लाग पर आए इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।आगे भी हर सप्ताह आप को ऐसी ही रचनाएं मेरे सभी ब्लाग्स पर मिलेगी,सहयोग बनाए रखिए......
..
कहाँ हो भाई.....कितनी राते गुजर गयी .अब तो....?
भाई ब्याह हो गया या नहीं.... अगर नहीं हुआ तो करवा लो..
भाई ब्याह हो गया या नहीं अगर नहीं हुआ तो करवा लो
क्या बात है विक्रांत जी , बहुत खूब
kya baat hai sir ji , bahut sundar rachna .. bhai maza aa gaya padhkar .. mohabbat ke rang hai hazaar aur aaapne unhi rango ko apni lekhni se sanwaara hai ..
meri dil se aapko badhai ..
meri nayi poem par kuch kahiyenga to mujhe khushi hongi sir ji ..
www.poemsofvijay.blogspot.com
vijay
बेशर्मा जी, लगता है आप स्वयँ ही शर्मा गये क्या ?
एक झलक तो दिखलाइये ।
सुन्दर सवाल, सुन्दर जवाब और लाजवाब कविता, बधाई, विक्रांत!
bahut sundar rachna ... ishq hi ishq xhaaya hai charo aor....ji
Aabhar
Vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html
बेहद प्यारी आपकी रात है । और उससे भी ज्यादा प्यारी आपकी वो वाते जो आपने लिखी है । वधाई
इष्टमित्रों और परिवार सहित आपको, दशहरे की घणी रामराम.
रामराम.
सुन्दर रचना...
कितने दिन भी गुजर गए.. कोई खबर आपकी.
- सुलभ
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