बरसों तुझसे प्यार किया,इंतज़ार भी किया ,कभी तुम ख्वाबों में सताती रही और कभी ख्यालों में आती रही! कभी जुगनुओं से तेरा पता पूछा और कभी टूटते तारों से तुझे माँगता रहा और अब जब तुम मिली तो दिल ने सदा दी ......चल चलें ......................
चल चलें ........
वहाँ जहाँ बादल करते हों पर्वतों से बातें !!!!!!
चल चलें ........
वहाँ जहाँ पानियों पर बिछी हो लहरों की चादरें !!!!!!!
चल चलें ........
चल कर किसी अब्र को छू लें ....
और सहेज लें उसकी ठंडक ज़िन्दगी भर के लिए !!!!!!
चल चलें ........
चल कर किसी खामोश वादी से पूछें ....
की ये अल्फाज़ ख़ामोशी के तूने सीखे कहाँ से ?
चल चलें ........
चल कर किसे बहते दरिया के किनारे बैठें ,
और डुबो के अपने पैरों को उसमें ,चुरा लें थोड़ी सी नमी उसकी !!!!!
चल चलें ........
चल कर कहीं एक दूसरे तक पहुंचे ,
और समेट लें वक़्त को एक पल में ,उम्र भर के लिए !!!!!!!
Sunday, November 29, 2009
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7 comments:
बहुत सुंदर कविता, प्यार के रस मै डुबी हुयी.
धन्यवाद
वाह बहुत ही खूबसूरत रचना. शुभकामनाएं.
आज कल दिखाई नही देरहे? लगता है लगता है गृहस्थी की गाडी मे बैठ गये? फ़ोटो देखकर तो ऐसा ही रहा है?:) बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत सुंदर!
बहुत दिन से कुछ लिखा नहीं ? कहीं व्यस्त हैं क्या ....? शुभकामनायें !
chalo aur le chalo wahan...jahan aasma milta ho zameen se..
chalo aur le chalo wahan...jahan aasma milta ho zameen se..
बहुत सुन्दर अच्छी रचना
बहुत बहुत शुभकामना
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