रोज़ कोसते हैं हम अपने खालीपन को , पर खालीपन में भी तन्हाईयों का साथ तो मिला होगा ! जो खाली है, वो भी तो शायद अंदर से भरा होगा ..... कुछ ग़म ,अश्क़ कुछ,या फिर यादों का कोई तो खण्डहर बचा होगा !!!! सच है की हम सब रहते हैं अपनी ही ख़लाओं में आजकल कैद, पर रूह की सुनसान राहों में ,माज़ी की तसवीरों से कोई तो गलियारा सजा होगा !!! शब् लम्बी है बहुत ,माना की अँधेरा भी घना होगा , आस मत छोड़ सहर की ऐ दोस्त ,न जाने खुदा ने तेरे लिए क्या कुछ सोचा होगा !!!
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