याद तुम आती रहीं.....
आज सावन की बूंदों ने बरस कर फिर तेरी यादें ताज़ा कर दी ..........................
जब सावन की बूँदें ,मेरी आखों से नमी चुराती रहीं ,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
जब काली रातें ,तेरी यादों की रौशनी से सितारों की चमक चुराती रहीं ,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
जब वक्त के दिए ज़ख्मो की टीस,मेरी आंखों को रुलाती रहीं,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
जब बनकर हकीकत की परछाइयां,तुम मेरे ख्वाबों में आती रहीं,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
तुम दूर हो इसलिए कुछ कह नहीं सकता,
जब आओगी पास ,तो ये तारे भी देंगे गवाही,
कि कैसे तुम्हारी यादें पल पल मुझे तडपती रहीं
कैसे तुम हर पल मुझे सताती रहीं
जब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
Comments
yaadon ko sundar bana diya aapne
जन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई.
धन्यवाद
बहुत सुंदर कविता ! शुभकामनाए!
जब आओगी पास ,तो ये तारे भी देंगे गवाही,"
बहुत दर्द दिखाई दे रहा है तिवारी साहब को तो !
सब खैरियत तो है ना ! हमसे कुछ मत छुपाना !
बहुत सुंदर लगी ! जन्माष्टमी की बधाई !
दर्द जब हद से गुज़र जाए तो दवा बन जाता है!!!!!
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
जब वक्त के दिए ज़ख्मो की टीस,मेरी आंखों को रुलाती रहीं,
तब याद तुम आती रहीं,
बस याद तुम आती रहीं !
bahut khoobsurat ......
.lamba gap le liya bhai ?kahan masroof the?
Bahut kub likhte hai aap...bebak
Apne blog ka nna bhi khub rakha hai aap ne...
http://dev-poetry.blogspot.com/