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Showing posts from 2009

चल चलें......

बरसों तुझसे प्यार किया,इंतज़ार भी किया ,कभी तुम ख्वाबों में सताती रही और कभी ख्यालों में आती रही! कभी जुगनुओं से तेरा पता पूछा और कभी टूटते तारों से तुझे माँगता रहा और अब जब तुम मिली तो दिल ने सदा दी ......चल चलें ...................... चल चलें ........ वहाँ जहाँ बादल करते हों पर्वतों से बातें !!!!!! चल चलें ........ वहाँ जहाँ पानियों पर बिछी हो लहरों की चादरें !!!!!!! चल चलें ........ चल कर किसी अब्र को छू लें .... और सहेज लें उसकी ठंडक ज़िन्दगी भर के लिए !!!!!! चल चलें ........ चल कर किसी खामोश वादी से पूछें .... की ये अल्फाज़ ख़ामोशी के तूने सीखे कहाँ से ? चल चलें ........ चल कर किसे बहते दरिया के किनारे बैठें , और डुबो के अपने पैरों को उसमें ,चुरा लें थोड़ी सी नमी उसकी !!!!! चल चलें ........ चल कर कहीं एक दूसरे तक पहुंचे , और समेट लें वक़्त को एक पल में ,उम्र भर के लिए !!!!!!!

रात के सवाल....

एक और रतजगे की रात,कुछ एहसासों,कुछ जज्बातों की रात !एक दास्ताँ सुनाती रात,दिल के किसी कोने में बसी है वो रात,जो आज फिर मचल उठी है कुछ कहने को ...... कल रात ने आख़िर पूछ ही लिया, इन नींद से अन्जान आंखों राज़ क्या है ? इस बेचैनी,बेख्याली का सबब क्या है? क्यों तू सहर तक तारों को ताकता रहता है ? क्यों तू रोज़ मेरे भेजे ख्वाब लौटा देता है ? वो तेरी कौन सी ऐसी मन्नत है,जिसके लिए मेरा हर तारा टूटने को तैयार है ? मैं बोला, सुन रात तेरे हर सवाल का जवाब इश्क है! आंखों में बस कर जो नींद चुरा ले जाए वो इश्क है! जो यार को ही रब बना दे वो इश्क है ! जिसके लिए हर ख्वाब को ठुकराया जा सके वो इश्क है ! तारे भी जिस मन्नत के लिए खुशी से टूट जाए वो इश्क है !!

मैं तो न सोया ....

मैं तो न सोया, जागा रहा सारी रात!! बनकर तारा , करने आईं थी तुम मुझसे बात !! आंखों आंखों में ही, कह दिया मैंने, चाहूँ ज़िन्दगी भर तेरा ही साथ!! प्यार हो तुम मेरा, मेरी चाहत हो , बस इतना ही कह दो आज !! मैं तो न सोया , जागा रहा सारी रात ........ दे दो गम अपने, ले लो खुशियाँ मेरी सारी !! मेरी खुशी बनकर रहना सदा, तुम तो हो फूलों से भी प्यारी !! जुड़ गए हैं हम अब , एक ही है ये ज़िन्दगी हमारी !! बस यूँ ही रिमझिम बरसती रहना तुम, बनकर प्यारी सी बरसात !! मैं तो न सोया , जागा रहा सारी रात ........ अब जीवन का हर पल , है एक नई ज़िन्दगी !! तेरा प्यार ही है मेरा खुदा, और मेरी बंदगी!! तुम ही तो बनकर आई हो, मेरी ज़िन्दगी में एक सुहानी सहर, और तुम ही कभी बन जाती हो , तारों भरी रात !! मैं तो न सोया , जागा रहा सारी रात ........

एक सफहा मेरी डायरी का.....

एक सफहा मेरी डायरी का, कुछ नाराज़ है मुझसे , वो मेरी एक नज़्म छुपाये बैठा है , जैसे जादुई स्याही से राज़ छुपाये जाते हैं !!!!! हर तरकीब आज़मा ली उसे मनाने की, और अपनी नज़्म वापस हथियाने की , पर सारी कोशिशें बेकार हुईं , जैसे तूफानों में नशेमन बिखर जाते हैं !!!! शायद नज़रों का धोखा है , या फिर कोई छलावा, मैं कोरे कागज़ को ही नज़्म समझे बैठा हूँ , जैसे सहराओं में सराब* नज़र आ जाते हैं !!!! *सराब ->दृष्टि भ्रम

अनामिका-२

घने अंधेरे और तन्हाई में भी, वो नीम का पेड़ मुस्कुराता है !!!! कल एक जुगनू आया था उसे रौशन करने !!!!!!!! आंखों ने रतजगों से आशिकी कर ली, खुली आंखों के ख्वाब शायद सच हो जायें !!!! नींद फ़िर गुमशुदा है कल से !!!! बूढे पीपल पर धागा बाँध कर, तुझे पाने की मन्नत की थी !!!! कच्चे धागे में बंधी पक्की मन्नत आज खुल गई !!!!!! तेरी आंखों से मेरी आँखें मिलने का लम्हा, चुरा कर संजो लिया था मैंने!!!! आज वक्त ने चोरी करते पकड़ लिया मुझको !!!!!!!! कभी एक लम्हा सदियों सा लगा, कभी कई सदियाँ एक लम्हे में गुजार दी !!!! ये वक्त भी बड़ा मूडी है !!!!!!!!!