जिंदगी तू रोज़ नया गम देती है,हम हँस कर पिया करते हैं,
तू मारने की करती है कोशिश,और हम हँस के जिया करते हैं
Tuesday, July 1, 2008
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मेरी भी एक मधुशाला है ,यह बच्चन जी की मधुशाला की हाला का कतरा भर भी नही,फिर भी ये मेरी मधुशाला है .इसमे हर पीने वाले का स्वागत है ..हर उस दोस्त का स्वागत है जो इस जीवन मधुशाला को और जानना चाहता है ..मेरी मधुशाला एक प्रयास है ख़ुद को जानने का...उम्मीद है यह इस जीवन की कसौटी पर खरी उतरेगी.
2 comments:
sachchi tasweer.......
do lafzon me bahut kuch
बहुत सुंदर कृपया पधारें http://manoria.blogspot.com and kanjiswami.blog.co.in
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