रोज़ कोसते हैं हम अपने खालीपन को , पर खालीपन में भी तन्हाईयों का साथ तो मिला होगा ! जो खाली है, वो भी तो शायद अंदर से भरा होगा ..... कुछ ग़म ,अश्क़ कुछ,या फिर यादों का कोई तो खण्डहर बचा होगा !!!! सच है की हम सब रहते हैं अपनी ही ख़लाओं में आजकल कैद, पर रूह की सुनसान राहों में ,माज़ी की तसवीरों से कोई तो गलियारा सजा होगा !!! शब् लम्बी है बहुत ,माना की अँधेरा भी घना होगा , आस मत छोड़ सहर की ऐ दोस्त ,न जाने खुदा ने तेरे लिए क्या कुछ सोचा होगा !!!
Thursday, August 19, 2021
Sunday, March 21, 2021
आदतें
आदतें भी अज़ीब होती हैं ,
बिना किसी रिश्ते के, ताउम्र को हमदम हो जाती हैं !
कभी वो जाती नहीं , तो कभी जाते जाते जातीं हैं
आदतें भी अज़ीब होती हैं ,
न जाने कब आदत बन जाती हैं !
Thursday, March 11, 2021
मुझे शायर न समझो...
मुझे शायर न समझो मेरे यारों ,
हम तो यूँ ही कलम चला लेते हैं ,
हर ख़्याल को रखते हैं ज़हन में रवाँ ,
और कभी लफ़्ज़ों के कालीन बिछा लेते हैं !
खुली आँखों से देख लेते हैं बहुत सारे ख़्वाब ,
और कभी किसी ख़्वाब को आईने में सजा लेते हैं !!
मुझे शायर न समझो मेरे यारों ,
हम तो यूँ ही कागज़ पर जश्न -ऐ -ज़िन्दगी मना लेते हैं !!
Saturday, March 6, 2021
जश्न
चल चल कर थकने लगा हूँ ,अँधेरों से रौशनी परख़ने लगा हूँ,जी करता है कहीं बैठ कर दो पल आराम कर लूँ ,दो पल की फ़ुरसत में दो सदी ज़िन्दगी की महसूस कर लूँ |
कोई किस्सा नया छेड़ो आज ,
कोई नई नज़्म सुनाओ यारों ||
फ़ुरसत का आलम है चुप न बैठो ,
हर पल जश्न कोई नया मनाओ यारों ||
रूठी साँझ को न कोई शिक़वा रहे ,
ज़रा तारोँ को आवाज़ लगाओ यारों ||
शब् से कह दो,ना ढले आज ,
अब सहर को बुलाकर,बेवजह ना सताओ यारों ||