अब मैं अकेला ही चलूँगा जानिबे अमन!
कितनी भी कठिन डगर हो,
हर कदम गुमराह होने का डर हो,
जीत बसी है मेरे हर तस्सवुर में,
इक रोज़ हासिल करूँगा मैं मंजिल को!!!
बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उन तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!
सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!!!!!
मैं अकेला ही चला था जानिबे अमन ,आज देखो मेरे सैंकडों हांथ हैं !!!!!!!!!!!!!!
कितनी भी कठिन डगर हो,
हर कदम गुमराह होने का डर हो,
जीत बसी है मेरे हर तस्सवुर में,
इक रोज़ हासिल करूँगा मैं मंजिल को!!!
बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उन तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!
सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!!!!!
मैं अकेला ही चला था जानिबे अमन ,आज देखो मेरे सैंकडों हांथ हैं !!!!!!!!!!!!!!
13 comments:
सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!!!!!
बहुत सकारात्मक सोच...काश ऐसा ही हो....
नीरज
सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,....
बहुत ही भावुक कविता...
धन्यवाद
बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उनक तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!
बहुत अनुकरणिय विचार ! आपको बहुत शुभकामनाए !
राम राम !
Bahut sunder bhav......badhai
सुना है ,कल जली थी एक शम्मा ,
आज सैंकडों शम्मे रौशन होंगी ,
जिस राह पर मैं कल तलक था तन्हा,
उस राह पर आज सारी दुनिया होगी!
मैं अकेला ही चला था जानिबे अमन ,
आज देखो मेरे सैंकडों हांथ हैं!
बहुत सुंदर! अमन की यह शमा इसी तरह रौशन रहे, आमीन!
बहुत सुन्दर रचना है ...बहुत-बहुत बधाई ...
vikrant ji , aapke blog par aakar achchha laga .
achchha likha hai , is mishan main , main bhi aapake sath hoon ,
mere blog par aane ke liye shukriya ,
madgushala ka madhur sangeet bha gaya .
बहुत सुन्दर लिखा आपने !
Waah ! sundar shabd aur bhavabhivyakti
विक्रं।त जी, आपकी 'इक रोज जब' और 'कल सारी रात' कवितायें अच्छी लगीं ...
sankalp ko naman.
aapkee profile ka andaaze-bayaan bhee aur hai .
bahut achhi soch hai
बंद दरवाजों में सहमे बैठे हैं लोग ,
कुछ खफा खफा,नाराज़ से लोग ,
उनक तक ये पैगाम पहुंचे ,
ज्यों जलेगी एक भी शम्मा ,दूर अँधेरा होगा!!!!
ek shama ek mashaal bhi andhere ko door kar degi bus koi to uthe aur jalaye
नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना
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