जश्न
चल चल कर थकने लगा हूँ ,अँधेरों से रौशनी परख़ने लगा हूँ,जी करता है कहीं बैठ कर दो पल आराम कर लूँ ,दो पल की फ़ुरसत में दो सदी ज़िन्दगी की महसूस कर लूँ |
कोई किस्सा नया छेड़ो आज ,
कोई नई नज़्म सुनाओ यारों ||
फ़ुरसत का आलम है चुप न बैठो ,
हर पल जश्न कोई नया मनाओ यारों ||
रूठी साँझ को न कोई शिक़वा रहे ,
ज़रा तारोँ को आवाज़ लगाओ यारों ||
शब् से कह दो,ना ढले आज ,
अब सहर को बुलाकर,बेवजह ना सताओ यारों ||
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