सदियाँ बीती हैं!!
एक बेजान बदन को ही जिंदा कहे फिरता है ,
इंसानों को मरे तो सदियाँ बीती हैं ,
वो वक्त और था जब इन्सान हुआ करता था,
और उसकी शरीक-ऐ-हयात इंसानियत भी जिया करती थी ,
किसी इन्सान का इंसानियत का हाथ थामे तो सदियाँ बीती हैं
वो वक्त और था जब इन्सान की आंखों में हया थी ,
उसके दिल में चैन और रूह में सुकून भी था
वो इज्ज़त किया करता था सबकी,
और सबसे किया करता था प्यार,
पर इन्सान का हया से नाता तोड़े सदियाँ बीती हैं
वो वक्त और था जब इन्सान रिश्तों को मानता था ,
वो भाई ,बहन ,माँ,बाप और दोस्तों को पहचानता था,
पर इंसान का हर रिश्ते का गला घोंटे तो सदियाँ बीती हैं
वो वक्त और था जब इन्सान खुदा से डरता था,
उसके सजदे में झुकता था,
और किया करता था उसकी इबादत ,
पर आज इन्सान ही बन बैठा है खुदा,
और इंसानियत के खुदा को मरे तो सदियाँ बीती हैं
किसी सच्चे इन्सान को गर फिर से जिला सकूँ ,
उसके दिल में प्यार और आंखों में हया भर सकूँ,
तो अपनी जिंदगी को कामयाब समझूंगा,
पर इंसानियत को को जिलाने की इसी कोशिश में तो सदियाँ बीती हैं
इंसानों को मरे तो सदियाँ बीती हैं ,
वो वक्त और था जब इन्सान हुआ करता था,
और उसकी शरीक-ऐ-हयात इंसानियत भी जिया करती थी ,
किसी इन्सान का इंसानियत का हाथ थामे तो सदियाँ बीती हैं
वो वक्त और था जब इन्सान की आंखों में हया थी ,
उसके दिल में चैन और रूह में सुकून भी था
वो इज्ज़त किया करता था सबकी,
और सबसे किया करता था प्यार,
पर इन्सान का हया से नाता तोड़े सदियाँ बीती हैं
वो वक्त और था जब इन्सान रिश्तों को मानता था ,
वो भाई ,बहन ,माँ,बाप और दोस्तों को पहचानता था,
पर इंसान का हर रिश्ते का गला घोंटे तो सदियाँ बीती हैं
वो वक्त और था जब इन्सान खुदा से डरता था,
उसके सजदे में झुकता था,
और किया करता था उसकी इबादत ,
पर आज इन्सान ही बन बैठा है खुदा,
और इंसानियत के खुदा को मरे तो सदियाँ बीती हैं
किसी सच्चे इन्सान को गर फिर से जिला सकूँ ,
उसके दिल में प्यार और आंखों में हया भर सकूँ,
तो अपनी जिंदगी को कामयाब समझूंगा,
पर इंसानियत को को जिलाने की इसी कोशिश में तो सदियाँ बीती हैं
Comments
उसके सजदे में झुकता था,
और किया करता था उसकी इबादत ,
पर आज इन्सान ही बन बैठा है खुदा,
और इंसानियत के खुदा को मरे तो सदियाँ बीती हैं .........बहुत अच्छा लिखा।
इंसानों को मरे तो सदियाँ बीती हैं ,
वो वक्त और था जब इन्सान हुआ करता था,
..........
madhushala me yun hi sach bayaan hota hai,
to kaun n aayega madhushala,
bahut achha likha