शाम
ये शाम सज कर आई है आज मेरे लिए ,
होठों पे लिए मुस्कान और जलाये तारों के दीये ,
कभी यों लगता है मैं बना हूँ इसके लिए,
और ये बनी है सिर्फ़ मेरे लिए
गर तुम भी देख पाओ इन अंधेरों की रौशनी को,
तो जान जाओगे कि हर रौशनी जली है किसी अंधेरे के लिए
होठों पे लिए मुस्कान और जलाये तारों के दीये ,
कभी यों लगता है मैं बना हूँ इसके लिए,
और ये बनी है सिर्फ़ मेरे लिए
गर तुम भी देख पाओ इन अंधेरों की रौशनी को,
तो जान जाओगे कि हर रौशनी जली है किसी अंधेरे के लिए
Comments
होठों पे लिए मुस्कान और जलाये तारों के दीये ,
कभी यों लगता है मैं बना हूँ इसके लिए,
और ये बनी है सिर्फ़ मेरे लिए
aameen.....
badhiya chitran
bahut umda badhai....