शाम

ये शाम सज कर आई है आज मेरे लिए ,
होठों पे लिए मुस्कान और जलाये तारों के दीये ,
कभी यों लगता है मैं बना हूँ इसके लिए,
और ये बनी है सिर्फ़ मेरे लिए
गर तुम भी देख पाओ इन अंधेरों की रौशनी को,
तो जान जाओगे कि हर रौशनी जली है किसी अंधेरे के लिए

Comments

ये शाम सज कर आई है आज मेरे लिए ,
होठों पे लिए मुस्कान और जलाये तारों के दीये ,
कभी यों लगता है मैं बना हूँ इसके लिए,
और ये बनी है सिर्फ़ मेरे लिए

aameen.....
बहुत खूब ! कुछ तो बात है !
Smart Indian said…
"हर रौशनी जली है किसी अंधेरे के लिए" - बहुत सुंदर विक्रांत भाई!
Smart Indian said…
"हर रौशनी जली है किसी अंधेरे के लिए" - बहुत सुंदर विक्रांत भाई!
Pragya said…
"har roshni jali hai kisi andhere ke liye"
badhiya chitran
Udan Tashtari said…
बहुत उम्दा...वाह!
sunder khayaal..badhaayee...

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